एक सड़क पर जाम एक सड़क पर कीचड़, इमली छापर में चलना हुआ मुसीबत,एसईसीएल 18 लाख रुपए खर्च कर भर रहा गढ्ढे…
कोरबा – कुसमुंडा मार्ग चलने के लिए तो फोर लेन मार्ग बन रहा है, कहने के लिए भारी सुविधाजनक बन रहा है,पर बीते कई वर्षों यह जो पीड़ा लोग सहने में महसूस कर रहे हैं ये वे ही जानते हैं, जो इस मार्ग पर चल रहें हैं। यह निर्माणाधीन फोर लेन मार्ग पूर्ण रूप से बनते बनते रह गया है,जिसमें कहीं रोड ठेकेदार की वजह से देरी हुई तो कहीं कुंभकरणीय नींद में सोए प्रशासन की वजह से देरी हो रही हैं। शिवमन्दिर चौक विकास नगर से बरमपुर मोड और सर्वमंगला चौक तक सड़क बन चुकी है,और बन कर उखड़ भी रही है, खैर उस पर बाद में आयेंगे। लेकिन इस बीच बरमपुर नहर और मोड के पास और इमली छापर चौक से कुचेना मोड तक सड़क ठेकेदार को काम ही नहीं करने दिया गया। इन दोनों ही स्थानों पर सीएसईबी के खम्बो को हटाने की जिम्मेदारी प्रशासन की थी, जो चार साल होने को है, नही हटाए गए जिस वजह से यहां काम आगे नहीं बढ़ पाया। इमली छापर चौक में जहां सीसी रोड बनी उसमें पार्किंग किया जा रहा है। इधर ओवर ब्रिज भी अधूरा है। यहां गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए हैं। लक्ष्मण नाला पर बनने वाला पुल अधर में लटका हुआ है। इन सबके बीच कुचेना मोड से इमली छापर चौक से गेवरा रोड रेल्वे स्टेशन तक पुरानी सड़क लगभग पूरी तरह से उखड़ चुकी है। वार्ड ५७ की पार्षद सुरती कुलदीप,वार्ड ५८ पार्षद बसंत चंद्रा सहित क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों ने जब सड़क पर उतर कर आंदोलन की बात कही तब बरमपुर मोड का काम शुरू हुआ, काफी हद तक काम हुआ भी पर नहर पुल और सीएसईबी के बिजली के खम्बो की वजह से यहां काम रुका पड़ा है। जिससे विशालकाय गढ्डों के बीच लोग आवाजाही के लिए मजबूर हैं। दूसरी तरफ इमली छापर में भी स्थिति जस के तस है। यहां जबकि गढ्ढों को भरने और आम लोगों के लिए वेकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की जिम्मेदारी निर्माणधीन फोर लेन ठेकेदार की है तो प्रशासन ने तात्कालिक राहत के लिए एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन को सड़क के गड्ढे भरने को कह दिया, जिस पर एसईसीएल कुसमुंडा के सिविल विभाग ने कुचनेा मोड से इमली छापर तक की सड़क के गढ्डों को भरने लगभग 18 लाख रुपए का काम निकाला, जो वर्तमान में धरातल पर चल रहा है,लेकिन यह भी नाकाफी नजर आ रहा है। गढ्ढे जस के तस हैं। कई स्थानों पर गढ्ढे भरे गए पर दो दिन बाद वे भी फिर से गढ्ढे हो जा रहे हैं। वजह है लगातार भारी एवम हल्के वाहनों की आवाजाही। असल में यहां इस मार्ग को पूर्ण रूप से स्थाई तौर पर बनाने से राहत मिल पाएगी। अन्यथा लाखों के टेंडर निकलते रहेंगे और गढ्ढे भरे ना भरे…